महिलाओं की सुरक्षा को लेकर छिड़ी बहस, आखिर कब निर्भय होगी दून की आधी आबादी

 हैदराबाद प्रकरण के बाद फिर से देशभर में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बहस छिड़ गई है। ऐसे में दून की आधी आबादी भी सिस्टम से इस सवाल का जवाब मांग रही है कि आखिर वह कब खुद को निर्भय महसूस कर पाएंगी?


इसकी वजह यह कि दून में महिला सुरक्षा के नाम पर सिर्फ बातें और दावे ही गंभीरता से होते रहे हैं। उनको धरातल पर उतारने में उतनी रुचि नहीं दिखाई गई, जितना ढिंढोरा पीटने में। फिर चाहे बात महिलाओं के लिए स्पेशल ऑटो और निर्भया बसों के संचालन की हो या सिटी बसों में महिलाओं के लिए बनाए गए स्पेशल केबिन व सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग की। अन्य राज्यों की देखा-देखी ये सुविधाएं दून में शुरू तो की गईं, लेकिन कामयाब नहीं हो पाईं। यातायात निदेशक केवल खुराना ने बताया कि निर्भया कांड के बाद जनवरी 2013 में दून में महिलाओं के लिए स्पेशल ऑटो चलाए गए थे। इसका महिलाओं ने लाभ नहीं उठाया। दो साल पहले महिलाओं को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग भी दी गई थी। हालांकि, कितनी महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया, इसके  आंकड़े नहीं हैं। पुलिस ने बसों व कॉमर्शियल वाहनों में पैनिक बटन लगवाने के साथ अधिकारियों के नंबर दर्ज कराए हैं। महिलाएं उनका इस्तेमाल करें।